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मनरेगा योजना पर आखिर केंद्र और बंगाल सरकार में क्यों ठनी? ममता ने सरेआम फाड़ दी नए आदेश की कॉपी

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Posted On:Wednesday, December 10, 2025

पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही केंद्र और राज्य सरकार के बीच राजनीतिक तनातनी अपने चरम पर पहुंच गई है. ताजा विवाद केंद्र की ओर से मनरेगा (MGNREGA - महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) योजना को बंगाल में तत्काल प्रभाव से लागू करने के आदेश और राज्य की ममता बनर्जी सरकार द्वारा इसका तीखा विरोध करने से जुड़ा है.

कोर्ट के आदेश पर केंद्र ने की बहाली

सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए 6 दिसंबर को मनरेगा को लागू करने संबंधी एक आदेश जारी किया. इस आदेश में स्पष्ट कहा गया कि "ग्रामीण विकास विभाग इसके द्वारा पश्चिम बंगाल में महात्मा गांधी नरेगा को तुरंत प्रभाव से फिर से लागू कर रहा है." इसकी जानकारी पश्चिम बंगाल सरकार को भी आधिकारिक तौर पर दी गई थी.

दरअसल, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर को केंद्र की स्पेशल लीव पिटीशन को खारिज कर दिया था, जिसमें हाईकोर्ट के 18 जून के आदेश को चुनौती दी गई थी. उस आदेश में बंगाल में मनरेगा को 1 अगस्त, 2025 से लागू करने और "खास शर्तें" लगाने का फैसला केंद्र पर छोड़ने का निर्देश दिया गया था. केंद्र ने MGNREGA, 2005 की धारा 27 का इस्तेमाल करते हुए, निर्देशों का पालन न करने की वजह से साढ़े 3 साल पहले (9 मार्च, 2022 से) पश्चिम बंगाल को फंड जारी करना बंद कर दिया था.

ममता ने फाड़ा आदेश, बताया 'भीख'

हालांकि, राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस आदेश से और खास तौर पर इसमें जोड़ी गई शर्तों से बेहद खफा हैं. ममता ने मंगलवार को इस मसले पर केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कूचबिहार में एक जनसभा के दौरान MGNREGA से जुड़े नए नियमों वाले एक नोट को फाड़ दिया. उन्होंने इसे "बेकार और अपमानजनक" करार दिया.

सीएम ममता ने केंद्र की शर्तों पर आपत्ति जताते हुए कहा, “हमें केंद्र की ओर से एक पत्र मिला जिसमें कहा गया कि 6 दिसंबर से हमें तिमाही लेबर बजट जमा करना होगा... अब इसे दिखाने का समय ही कहां है? दिसंबर चल रहा है, और अगले साल चुनाव होने हैं. फिर उन्होंने शर्त लगाई कि ट्रेनिंग देनी होगी.”

"हम आपसे भीख नहीं मांग रहे"

अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, “आप लोगों को कब ट्रेनिंग देंगे और कब नौकरियां देंगे? यह कागज का टुकड़ा बेकार है. हम फिर से सत्ता में लौटेंगे. कर्मश्री योजना के तहत, हम 70 दिन का काम दे रहे हैं, हम इसे बढ़ाकर अब 100 दिन का करेंगे. हमें आपकी दया नहीं चाहिए. हम आपसे भीख नहीं मांग रहे. इसीलिए मैं यह नोट फाड़ रही हूं. मुझे लगता है कि यह हमारे लिए अपमानजनक है.” उन्होंने यह भी साफ किया कि बंगाल "दिल्ली की खैरात" मांगे बिना अपनी खुद की वर्क स्कीम चलाएगा और "बंगाल कभी झुका नहीं है और न ही आगे कभी झुकेगा."

केंद्र की नई शर्तें

केंद्र ने बहाली के साथ कई शर्तें लगाई हैं: राज्य को सभी मजदूरों का 100% ई-केवाईसी पूरा करना होगा, और मस्टर रोल अनिवार्य ई-केवाईसी के बाद ही जारी किए जाएंगे. सबसे बड़ी शर्त यह है कि लेबर बजट की मंजूरी अब तिमाही आधार पर होगी, न कि पूरे साल के लिए, जो कि राज्य के प्रदर्शन और नई शर्तों के पालन पर निर्भर करेगी.


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