निवेश मार्केट में पैसा कमाने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं—एक ओर जहाँ शेयर बाजार में स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड और ईटीएफ जैसे ऊँचे रिटर्न की संभावना वाले स्कीम्स हैं, वहीं दूसरी ओर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) जैसे सुरक्षित और गारंटीड रिटर्न वाले विकल्प प्रमुखता से दिखाई देते हैं।
FD हमेशा से भारतीय निवेशकों के लिए एक भरोसेमंद विकल्प रहा है, खासकर ऐसे समय में जब कुछ बैंक 5 साल के टर्म के लिए 8% तक का आकर्षक ब्याज दर ऑफर कर रहे हैं। यह दरें आम नागरिकों (60 वर्ष से कम) के लिए हैं और इसकी अधिकतम निवेश सीमा आमतौर पर ₹3 करोड़ तक हो सकती है।
आइए, उन बैंकों पर एक नज़र डालते हैं जो 5 साल की अवधि वाली FD पर बेहतरीन इंटरेस्ट रेट दे रहे हैं:
8% तक का FD इंटरेस्ट रेट देने वाले प्रमुख बैंक
स्मॉल फाइनेंस बैंक (SFBs) ने पिछले कुछ समय से FD पर आकर्षक ब्याज दरें देकर निवेशकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। ये बैंक अपने परिचालन (ऑपरेशनल) खर्चों और फंडिंग की जरूरतों को पूरा करने के लिए अक्सर बड़े बैंकों की तुलना में ज्यादा ब्याज देते हैं।
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सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक (Suryoday Small Finance Bank):
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जन स्मॉल फाइनेंस बैंक (Jana Small Finance Bank):
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उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक (Ujjivan Small Finance Bank):
FD से TDS कब और कैसे काटा जाता है?
FD में निवेश करते समय, ब्याज से संबंधित टैक्स नियमों को समझना बहुत ज़रूरी है:
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TDS की कटौती: यदि किसी एक वित्तीय वर्ष में आपकी फिक्स्ड डिपॉजिट से मिला कुल ब्याज ₹40,000 (वरिष्ठ नागरिकों के लिए ₹50,000) से ज़्यादा हो जाता है, तो बैंक को ब्याज की राशि पर सोर्स पर टैक्स डिडक्टेड (TDS) काटना ज़रूरी होता है।
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TDS की दर: आमतौर पर TDS की दर 10% होती है।
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TDS कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं: यह समझना महत्वपूर्ण है कि TDS कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं है। यह सिर्फ आपके ब्याज पर लगने वाले अंतिम टैक्स का एक अग्रिम भुगतान (Advance Payment) है।
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रिफंड और ITR:
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आप इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते समय इस TDS राशि को अपनी कुल टैक्स देनदारी में शामिल कर सकते हैं।
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अगर आपकी कुल आय टैक्स के दायरे में नहीं आती है (यानी आपका टैक्स शून्य है), तो आप ITR फाइल करके इस TDS राशि का रिफंड वापस पा सकते हैं।
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अगर आप टैक्स रिफंड के लिए पात्र हैं, तो आप उस रिफंड पर लागू ब्याज के लिए भी पात्र हो सकते हैं।