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जॉर्डन में पीएम मोदी का खास स्वागत: क्राउन प्रिंस के साथ म्यूजियम यात्रा से मजबूत हुई दोस्ती

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Posted On:Tuesday, December 16, 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जॉर्डन यात्रा के दौरान एक बेहद खास और प्रतीकात्मक दृश्य देखने को मिला, जब जॉर्डन के क्राउन प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला II मंगलवार को स्वयं पीएम मोदी को अपनी गाड़ी में बैठाकर जॉर्डन संग्रहालय (जॉर्डन म्यूजियम) तक ले गए। यह कदम केवल शिष्टाचार नहीं, बल्कि भारत और जॉर्डन के बीच गहराते भरोसे, सम्मान और मित्रता का संकेत माना जा रहा है। उल्लेखनीय है कि क्राउन प्रिंस अल हुसैन पैगंबर मोहम्मद की 42वीं पीढ़ी के वंशज हैं, जिससे इस मुलाकात का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व और भी बढ़ जाता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस खास पल की तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए लिखा, “महामहिम रॉयल क्राउन प्रिंस अल-हुसैन बिन अब्दुल्ला II के साथ द जॉर्डन म्यूजियम जाते हुए।” यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई और दोनों देशों के बीच बढ़ती नजदीकियों की चर्चा का विषय बन गई।

जॉर्डन म्यूजियम: इतिहास और नवाचार का संगम

जॉर्डन म्यूजियम का उद्देश्य देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेजना और दुनिया के सामने प्रस्तुत करना है। यह केवल एक पारंपरिक संग्रहालय नहीं, बल्कि एक आधुनिक लर्निंग सेंटर है, जो कई दिलचस्प और इंटरैक्टिव तरीकों से ज्ञान साझा करता है। म्यूजियम की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यहां हर सेक्शन को समय-समय पर अपडेट किया जाता है। इसमें गैलरी प्रदर्शनी, ऐतिहासिक वस्तुओं का संरक्षण और शैक्षिक कार्यक्रम शामिल हैं। यह संग्रहालय जॉर्डन के इतिहास और पुरातत्व से जुड़ी करीब 1.5 मिलियन साल पुरानी नवाचार यात्रा को दर्शाता है, जो आगंतुकों को अतीत से वर्तमान तक की एक व्यापक झलक देता है।

भारत-जॉर्डन साझेदारी को नई दिशा

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी जॉर्डन यात्रा के नतीजों को साझा करते हुए कहा कि यह दौरा दोनों देशों के बीच साझेदारी के एक सार्थक विस्तार का प्रतीक है। सोमवार को उन्होंने अल हुसैनिया पैलेस में जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला II से मुलाकात की। इस अहम बैठक में द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखने का प्रस्ताव रखा गया। दोनों नेताओं ने आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग को मजबूत करने पर सहमति जताई।

प्रधानमंत्री मोदी ने जॉर्डन के डिजिटल पेमेंट सिस्टम और भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के बीच सहयोग की संभावनाओं पर भी जोर दिया। इससे जॉर्डन में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ भारत की डिजिटल सार्वजनिक संरचना के अनुभव साझा किए जा सकेंगे।

अहम समझौते और भविष्य की राह

इस यात्रा के दौरान भारत और जॉर्डन के बीच कई महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों (एमओयू) को अंतिम रूप दिया गया। इनमें संस्कृति, अक्षय ऊर्जा, जल प्रबंधन, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और ऐतिहासिक स्थलों पेट्रा और एलोरा के बीच ट्विनिंग व्यवस्था शामिल है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, “ये नतीजे भारत-जॉर्डन साझेदारी का एक सार्थक विस्तार हैं। नई और अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में हमारा सहयोग स्वच्छ विकास, ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु जिम्मेदारी के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”

उन्होंने आगे कहा कि जल संसाधन प्रबंधन और विकास में सहयोग से दोनों देशों को संरक्षण, दक्षता और आधुनिक तकनीक की सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में मदद मिलेगी, जिससे दीर्घकालिक जल सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी। वहीं, पेट्रा और एलोरा के बीच ट्विनिंग समझौता विरासत संरक्षण, पर्यटन और अकादमिक आदान-प्रदान के लिए नए अवसर खोलेगा।

सांस्कृतिक और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (2025-2029) के नवीनीकरण से लोगों के बीच संपर्क और मजबूत होंगे। डिजिटल इनोवेशन को साझा करने से जॉर्डन के डिजिटलीकरण को नई गति मिलेगी। ये सभी समझौते भारत-जॉर्डन द्विपक्षीय संबंधों और मित्रता को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।

अपनी मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रमों पर भी विचार साझा किए। उन्होंने पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता बहाल करने के महत्व को दोहराया। प्रधानमंत्री मोदी ने क्षेत्र में स्थायी शांति के प्रयासों के लिए भारत के समर्थन की प्रतिबद्धता भी जताई।

यात्रा का व्यापक संदर्भ

प्रधानमंत्री मोदी सोमवार दोपहर अम्मान पहुंचे, जहां से उन्होंने अपने तीन देशों के दौरे की शुरुआत की। इस दौरे में इथियोपिया और ओमान भी शामिल हैं—ऐसे देश जिनके साथ भारत के पुराने सभ्यतागत संबंधों के साथ-साथ मजबूत समकालीन द्विपक्षीय रिश्ते हैं। जॉर्डन के प्रधानमंत्री जाफर हसन ने एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का विशेष स्वागत किया। यह प्रधानमंत्री मोदी की जॉर्डन की पहली पूरी तरह द्विपक्षीय यात्रा है, जो भारत-जॉर्डन संबंधों के इतिहास में एक अहम अध्याय के रूप में देखी जा रही है।


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